भूषण श्रीवास/बिलासपुर/तखतपुर :- अभी हाल ही में रिलीज हुई छत्तीसगढ़ी फिल्म में सरकारी स्कूलों के बैकग्राउंड को लेकर विरोध के स्वर उठ रहे है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन से मान्यता प्राप्त संस्था सर्व मानव जागृत युवा सेवा समिति के संस्थापक/अध्यक्ष घनश्याम श्रीवास, उपाध्यक्ष आकाश यादव कोषाध्यक्ष संदीप यादव सहित संचालकगण का कहना है कि यह गलत परंपरा को फिल्म में दिखाया जा रहा है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बालिग नहीं होते, उस उम्र में प्रेम कहानी का पट तैयार कर फिल्म बनाई गई है। जिससे सामाजिक गरिमा खत्म हो रही है।छत्तीसगढ़ी संस्कृति और संस्कारों की छबि खराब करने के लिए तुले हुए हैं।विगत कई दिनों से चल रही छत्तीसगढ़ी मूवी “ले शुरू होगे मया के कहानी” को लेकर कुछ शिक्षकों ने आपत्ति जताई है और कहा कि ऐसी फिल्में बैन होनी चाहिए। शिक्षक मनोज कश्यप ने कहा कि काफी लोगों के देखने के बाद मूवी को देखने गया किंतु यह फिल्म निराश कर दिया है। एक शिक्षक होने के नाते वह फिल्म संस्कार से परे और शासकीय स्कूल के वातावरण को दूषित और प्रदूषित होने का संदेश दे रही है जबकि ऐसा वातावरण स्कूलों में कतई नहीं है। ये स्कूलो को बदनाम करने की साजिश है। मनोज कश्यप ने कहा कि मैं शिक्षक होने के नाते इस मूवी का पुरजोर विरोध करता हूं और किसी भी फिल्म का संदेश सकारात्मक होना चाहिए। शिक्षक मनोज कश्यप का कहना है कि इस फिल्म के आधार पर बहुत ही कम उम्र में अध्यापन स्तर पर जारी बारहवीं के छात्र-छात्राओं के द्वारा अपने माता-पिता को परेशान करना उनके संस्कार एवं गरिमा को खराब करने का कार्य दिखाया गया है। इसका स्कूली छात्र-छात्राओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पूरे फिल्म में समाज को अलग दिशा में संस्कार हीन किया जाने वाला चित्रण किया गया है जिसका पुरजोर विरोध करते हैं। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री भूपेश बघेल जी ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण के साथ ही बढावा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों का काया पलट कर रख दिया है इसके विपरीत फिल्म में दिखाया गया है। शिक्षकों सहित सामाजिक संस्था द्वारा शासन से आग्रह किया है कि इस प्रकार का फिल्म तत्काल बैन किया जाना चाहिए।