50 lakh every year for Bastar Dussehra

बस्तरवासियों को पुरातन आदिवासी संस्कृति को सहेजने मिला बड़ा सौगात

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के साथ ही उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाना हमारा मकसद भी है और संकल्प भी है। यह बात संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। बस्तर दशहरा के आयोजन के लिए प्रत्येक वर्ष 50 लाख रुपए देने का निर्णय भी लिया गया.

अग्रवाल ने विधानसभा में बताया कि बस्तर में आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सरकार ने बस्तर दशहरा, चितेकोट महोत्सव, रामा राम महोत्सव और गोंचा महोत्सव आयोजन की राशि को बढ़ाने की घोषणा की। अग्रवाल ने कहा कि,आदिवासियों के हितों का संरक्षण और उनकी संस्कृति की रक्षा के लिए भाजपा सरकार वचनबद्ध है।

बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला दशहरा विश्व प्रसिद्ध

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बस्तर दशहरा के आयोजन के लिए प्रत्येक वर्ष 50 लाख रुपए देने का निर्णय

बस्तर की संस्कृति बहुत पुरातन और आदिवासी संस्कृति है जो आज भी अपने मूल स्वरूप में है।बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला दशहरा विश्व प्रसिद्ध है जहां रावण दहन नहीं होता बल्कि आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस धरोहर को सहेज कर रखने के लिए विभाग ने बस्तर दशहरा के आयोजन के लिए प्रत्येक वर्ष 50 लाख रुपए देने का निर्णय लिए है। अभी तक यह राशि मात्र 25 लाख रुपए थी। इसी प्रकार से चित्रकोट महोत्सव के लिए राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए और रामाराम महोत्सव के लिए 15 लाख रुपए, गोंचा महोत्सव के लिए धनराशि 5 लाख रुपए किए जाने की घोषणा की।

अग्रवाल ने बताया कि, इससे बस्तर की संस्कृति को जीवंत रखा जा सकेगा। आदिवासी समाज अपनी जीवन शैली और पहचान को बनाए रखे। आने वाले समय में बस्तर में नक्सलवाद सुनाई नहीं देगी। बल्कि वहां की संस्कृति, मांदर, ढोल की थाप गूंजेगी। उन्होंने कहा कि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार केवल आदिवासियों के नाम पर उनका वोट लेने का काम करती रखी। इतना ही नही नक्सलवाद को जड़ से मिटाने के लिए जरूरी काम भी नही किया। अगर हम आदिवासियों की मूल संस्कृति को जीवित रखेंगे तो कोई उनको भटकाकर नक्सलवाद के गलत रास्ते पर नही ले जाएगा।

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