भूषण प्रसाद श्रीवास/बिलासपुर :- संस्कारधानी से निकले 1008 रामभक्तों का ऐतिहासिक जत्था रविवार को जब अयोध्या की धरती पर पहुंचा,तो मानो पूरी रामनगरी भक्ति के रंग में रंग गई। भगवा वस्त्रधारी श्रद्धालु जब प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान कर प्रभु श्रीराम के धाम की ओर बढ़े, तो हर कदम पर भक्ति का उत्सव नजर आया। तीन दिन की इस यात्रा में भजन,जयघोष और पदयात्रा ने पूरे माहौल को राममय कर दिया।
मंदिर प्रांगण में जैसे ही श्रद्धालुओं को श्रीरामलला के दर्शन हुए, हर आंख नम और हर हृदय आनंदित हो उठा। यह पल भक्तों के लिए केवल दर्शन नहीं,जीवन का सबसे पवित्र अनुभव बन गया। बिलासपुर से 1008 रामभक्तों के अयोध्या पहुंचने पर जत्थे का भव्य स्वागत किया गया। शहर के एक सुंदर पैलेस में रहने और भोजन की उत्तम व्यवस्था देख श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। दोपहर के भोजन के उपरांत जैसे ही पदयात्रा प्रारंभ हुई, पूरा मार्ग रामभक्ति में डूब गया।
अयोध्या की गलियों में गूंजने लगे जयघोष
जयघोष,भजन,और भक्ति के स्वर अयोध्या की गलियों में गूंजने लगे। भगवा वस्त्रधारी श्रद्धालुओं का कारवां जब श्रीराम जन्मभूमि परिसर पहुंचा,तो वह क्षण सभी के लिए अविस्मरणीय बन गया। श्रद्धालु आंखों में आंसू, मन में शांति और होठों पर प्रभु का नाम लिए दर्शन करते रहे। श्रीरामलला के दिव्य दर्शन कर श्रद्धालुओं की वर्षों की साध पूरी हुई। कई श्रद्धालु तो इस अनुभूति से इतने भावुक हो उठे कि नयन अश्रुपूरित हो गए। यात्रा संयोजक प्रवीण झा और उनकी टीम की मेहनत हर स्तर पर दिखाई दी। यात्रा की सुरक्षा,व्यवस्था,भोजन,आवास,और मार्गदर्शन हर पहलू में श्रेष्ठता नजर आई। जीवन को दिशा देने वाली शक्ति
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इस यात्रा ने श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुभूति दी। आत्मिक परिवर्तन की ओर भी प्रेरित किया। यात्रा के दौरान लिए गए संकल्पों ने यह साबित किया कि भक्ति केवल एक परंपरा नहीं,बल्कि जीवन को दिशा देने वाली शक्ति है। इस यात्रा में सेवा,समर्पण और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला।संगम में स्नान,मिली आंतरिक शुद्धि प्रयागराज पहुंचते ही सभी 1008 श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। यह क्षण बेहद आध्यात्मिक रहा। रामभक्तों का कहना था कि गंगा-जमुना और सरस्वती के इस त्रिवेणी संगम ने उनके मन को निर्मल कर दिया। जलाभिषेक के साथ सबने अपने पापों के क्षय की प्रार्थना की।
श्रद्धालुओं ने कहा ‘भगवान को पा लिया’
हनुमानजी की प्रतिमा के साथ बस में सवार हुए श्रद्धालु श्रीरामलला के दर्शन के बाद भाव-विह्वल नजर आए। सरिता वर्मा ने कहा जैसे राम जी ने बुलाया और हमने भगवान को पा लिया। संजय वस्त्रकार ने बताया कि इस यात्रा ने उन्हें जीवन का उद्देश्य समझाया और वे अब नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प पर दृढ़ हैं। रोमेश वर्मा बोले अब हर दिन प्रभु स्मरण और ब्रह्ममुहूर्त में जागरण करूंगा।
स्वंयसेवकों का विशेष सहयोग
इस यात्रा में स्वयंसेवक के रूप में प्रमुख रूप से रामप्रताप सिंह,रौशन सिंह,त्रिभुवन सिंह,एके कंठ,रिंकू मित्रा,मुकेश झा,हरिशंकर कुशवाहा,सागर साहू,सनद पटेल,संतोष सिंह,संतोष चौहानअभिषेक साहू,संजय द्विवेदी,सन्नी गिरी,जयदीप घोष,चन्द्रकिशोर प्रसाद,शौलेन्द्र सिंह,शुभम राय,अशोक पाण्डेय,सूरज कौशिक,अजित पंडित,उचित सूद,राकेश राय,वैनकट नायडू,राजीव अग्रवाल,निभा दास,भाग्य लक्ष्मी,निहारिका त्रिपाठी,नितीन श्रीवास्तव,राजकुमार जैसवानी,योगेश बोले,रुपेश कुशवाहा का विशेष सहयोग रहा।