गौमाता को राष्ट्रमाता की स्वीकृति

परमधर्मसंसद के परमाध्यक्ष परमाध्यक्ष स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज 17 मार्च को इस सम्मिलन में दिल्ली में उपस्थित हुए

रायपुर। देश के पूज्यपाद चार पूर्वजों के नेतृत्व और समर्थन में भारत सहित एक सौ देश के 1008 धार्मिक और सामाजिक प्रतिभाओं के संगठन परम धर्म संसद 1008 द्वारा पिछले दो वर्षों से देश में गौ प्रतिष्ठा अभियान की सूची चला कर केंद्र और सभी राज्य गौमाता को पशुओं से बाहर कर राष्ट्रमाता को स्वीकार करने का प्रस्ताव लगातार जारी किया गया है।

विशेष संदर्भ में पिछले वर्ष केवल एक राज्य महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव से पहले परम धर्म संसद के 1008 के परमाध्यक्ष, ज्योतिर्मठ के पूज्यपाद स्वामी श्री अविमुक्तेश्वर सरस्वतीानंद महाराज की उपस्थिति में गौमाता को महाराष्ट्र की राज्यमाता घोषित कर राज्य में उनके भरण-पोषण की विशिष्ट व्यवस्था की घोषणा की है।

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हाल ही में अंतिम रूप से जारी किए गए एक महीने तक चले सत्र के एक महीने तक चलने वाले सत्र के दौरान देश के सभी धर्मों और दार्शनिकों के बीच गौमाता को राष्ट्रमाता की स्वीकृति की सहमति देने के लिए 17 मार्च तक अंतिम पद दिया गया है। धर्म संसद में देश के पूज्यपाद तीन पूर्वजों और सैकड़ों अन्य स्मारकों धार्मिक और सामाजिक प्रतिभाओं ने भाग लिया।

परम धर्म संसद 1008 के परमाध्यक्ष पूज्यपाद पिता स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती धर्म संसद के सात मार्च को प्रात: 7 बजे से शाम 5 बजे तक इस संबद्धता में दिल्ली के सामुद्रिक क्षेत्र में साझीदार महाराज के सानिध्य में दिए गए निर्णय के तहत। यह जानकारी धर्म संसद के संगठन मंत्री रायपुर निवासी मसंद सेवाश्रम के पिपिआगे साईं जलकुमार मसंद ने दी।

उल्लेखनीय है कि साईं मसंद साहब को परम धर्म संसद के 1008 के संगठन मंत्री गैट्ज़ डुप्लिकेट में प्रायद्वीप धर्म संसद के समापन समारोह के दौरान नियुक्त किया गया था। वे पिछले तीर्थयात्रा वर्षों से देश के पूज्यपादों और सैकड़ों अन्य महान संतों के सहयोग से देश में सनातन सिद्धांतों पर आधारित शासन स्थापित करवाकर भारत को पुनः स्थापित करने का अभियान चला रहे हैं।

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