एमसीबी। जिले के मनेन्द्रगढ़ सिटी कोतवाली और झगराखाण्ड थाना अंतर्गत इन दिनों सट्टा का अवैध कारोबार जोरों पर है। जानकारों का मानना है की स्थानीय पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से यह सब अवैध व्यापार फलफूल रहा है। लम्बे समय से चल रहे इस काले कारोबार को रोकने में पुलिस नाकाम नजर आ रही है और तो और क्षेत्र में गांजा, अवैध शराब जैसे धंधे भी खूब जोरो से चल रहे है।
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मनेन्द्रगढ़ और झगराखाण्ड में सट्टे का अवैध कारोबार
प्रतिदिन गांजा पीने वाले लोगों को शाम के समय खाली मैदानों में देखा जा सकता है जिसमे नई युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में शामिल है लेकिन पुलिस के हाथ यह धंधा करने वाले मुख्य सरगना तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण क्षेत्र में अराजक स्थिति बनी हुई है। इन दिनों खुलेआम सट्टे और नशे का कारोबार चल रहा है।
पुलिस कार्यवाही में कभी कभार दो-चार छोटे लोगों को पकड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है जबकि हकीकत यह है कि सटोरियों के कारनामों को जानने के बाद भी पुलिस के स्थानीय और आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। यही वजह है कि यह कारोबार मनेन्द्रगढ़ शहर के आमाखेरवा, रेलवे फाटक, चनवारीडांड, नदीपार, रेलवे स्टेशन, मौहारपारा, बस स्टैंड, विमल टॉकीज के पीछे, सुरभि पार्क के पास, नई सब्जी मंडी में तेजी से फल-फूल रहा हैं।
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सट्टे के खाईवाल शान से बेखौफ होकर शहर में यह काम कर रहे है। सट्टा और नशे के मायाजाल पर पुलिस का मौन रहना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सट्टे और नशे की चपेट में युवा वर्ग युवा वर्ग सट्टा और नशे के कारण संगीन अपराध में लिप्त हो रहे हैं। अपराध को रोकने के लिए पुलिस भी नाकाम साबित हो रही है।
झगराखाण्ड और मनेन्द्रगढ़ में फलफूल रहे अवैध सट्टे का कारोबार: जांच की मांग हुई तेज
इस क्षेत्र में पिछले कई दिनों से सट्टा और होटलों में शराब का कारोबार अवैध तरीके से चल रहा है। ऐसा प्रतीत होता हैं जैसे इलाके में इस तरह के कई काम को खुला संरक्षण प्राप्त है। अवैध कारोबार करने वाले मालामाल हो गए हैं। क्षेत्र में नशीले पदार्थों की तस्करी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा हैं। इस मामले में पुलिस द्वारा छोटी छोटी कार्यवाही जरूर हुई है परंतु बड़े सरगना के ऊपर अब तक कार्यवाही नहीं हुई है। जुए सट्टे में लिप्त सरगना को पकड़ने से इस अवैध कारोबार पर अंकुश लग सकता है।
अवैध कार्य कोई भी हो एक ना एक दिन घर उजाड़ ही देती है जिसमे आमजन की हानि होती है और यह कार्य प्रशासन की मिलीभगत से ही सम्भव है। अब देखना है कि सट्टे और इस तरह के चल रहे अन्य अवैध धंधों को पुलिस प्रशासन कार्यवाही कर इन्हें पूर्ण रूप से बन्द करवा पाती है या नहीं, जिसमें लोग बबार्दी की ओर अग्रसर हो रहे है।