औषधीय पेड़ो की अवैध कटाई बेधड़क जारी

औषधीय पेड़ो की अवैध कटाई बेधड़क जारी

औषधीय पेड़ो की अवैध कटाई बेधड़क जारी

बालोद। पेड़ो की अवैध कटाई एवं दूसरी तरफ  पेड़ लगावो जीवन बचाओ के उद्देश्य को लेकर बालोद जिले में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया और जिले के विभिन्न विभागों के द्वारा पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया और लोगों को पेड़ लगाने और उसके देखभाल व सुरक्षा के लिए प्रेरित किया गया साथ ही पर्यावरण दिवस पर रैली निकाल कर पेड़ लगाने एवं उसके संरक्षण की अपील की गई

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बताया गया कि पर्यावरण असंतुलन एवं बढ़ती गर्मी को देखते हुए पेड़ ही एक मात्र सहारा है जो हमें बचा सकती है और लोगों से आग्रह किया कि अपने अपने घरों व आसपास में पेड़ लगाए,वहीं दूसरी ओर ठीक इसके विपरीत हरे भरे पेड़ो की कटाई पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये जाने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में हरे भरे पेड़ो की कटाई बड़ी तादाद में हो रही है। वृक्षों की कटाई से गर्मी औऱ ग्लोबल वार्मिंग की समस्या लगातार बढ़ रही हैं।

पेड़ो की अवैध कटाई खेत खलिहानों में बड़ी मात्रा में

बालोद अंचल में प्रतिबंधित औषधीय अर्जुन (कऊहा) पेड़ो की अवैध कटाई खेत खलिहानों में बड़ी मात्रा में विगत कई महीनों से जारी है और इस पर अंकुश लगाने में वन विभाग सहित राजस्व विभाग नाकाम साबित हो रहा है। ग्रामीण अंचलों में बहुतायत मात्रा में हरे भरे औषधीय अर्जुन वृक्षों की लकड़ी माफिया बलि ले रहे हैं।

हर रोज अंचल के गांवों से बड़ी संख्या में इन हरे-भरे वृक्षों की कटाई की जा रही है, ऐसे में पर्यावरण पर खतरा मंडराने लगा है।क्षेत्र में जिस प्रकार से औषधीय गुण वाले अर्जुन पेड़ो की कटाई जारी है,इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो आने वाले भविष्य में ये पेड़ नजर नहीं आएंगे सिर्फ ठूठ ही दिखाई देंगे।

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जिला मुख्यालय से10 किलोमीटर दूर ग्राम लाटाबोड़ में के. के.पेट्रोल पंप के पीछे बड़ी मात्रा में अर्जुन पेड़ो की अवैध कटाई कर रखा हुआ है। ग्रामीणों की माने तो इस जगह पर हर साल बड़ी मात्रा में हरे भरे औषधीय अर्जुन लकड़ियों को डंप किया जाता हैं लेकिन कारवाई नहीं होता है।उनका कहना है खेतो में काटे जा रहे हरे भरे पेड़ो पर चाहे तो राजस्व विभाग अंकुश लगा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।क्षेत्र के ग्राम में कोटवार और पटवारी को इसकी जानकारी होने के बाद भी पेड़ो की बेतहाशा कटाई पर अंकुश नहीं लगना अनेकों सवाल खड़े कर रहे हैं।

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