लोकमाता अहिल्याबाई होलकर आदर्श कन्या आदर्श माता व आदर्श कुशल प्रशासिका थी
आवास कैर्वत/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही :- पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी समारोह समिति जिला के द्वारा दिनांक 16 नवंबर को सेमरा स्थित स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में नगर पंचायत पेंड्रा के पूर्व अध्यक्ष व भारतीय जनता पार्टी के नेता रामजी श्रीवास के मुख्य अतिथि,एवं जिला भाजपा उपाध्यक्ष नीरज जैन एवं समिति के सदस्य अभिषेक शर्मा के विशिष्ट अतिथि में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।जिसमें विद्यालय के शिक्षाविद प्राचार्य और राजकीय सम्मान से सम्मानित नरेंद्र तिवारी ने अध्यक्षता किया। एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के जिला संयोजक मथुरा सोनी जी मुख्य वक्ता के रूप में वीणापाणि मां सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम शुभारंभ किए।
सर्वप्रथम विद्यालय की बहनों के द्वारा सरस्वती वंदना की गई।एवं अतिथियों का स्वागत प्राचार्य नरेंद्र तिवारी व विद्यालय की लेक्चरर रचना शुक्ला ने किया।कार्यक्रम के जिला अध्यक्ष जनार्दन श्रीवास ने पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के त्रि शताब्दी कार्यक्रम पर विस्तार से विद्यालय परिवार को अवगत कराया एवं सभी बच्चों से आग्रह किया लोकमाता अहिल्या देवी के जीवन दर्शन को समझ कर अपने जीवन में अनुग्रहित करें। तत्पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नीरज जैन ने लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
इसी कड़ी में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामजी श्रीवास ने समाज के उत्थान में और समाज में समरसता का वातावरण पैदा करने के लिए अहिल्याबाई होल्कर की त्रि शताब्दी समारोह को मील का पत्थर बताया।तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में मथुरा सोनी ने अहिल्याबाई होल्कर पर एक गीत प्रस्तुत किया।और अपने विचार रखते हुए उन्होंने अहिल्याबाई का जीवन परिचय देते हुए उनके जीवन के विभिन्न प्रसंगों को छात्र-छात्राओं के समक्ष रखा लोक कल्याण के महत्वपूर्ण कार्य करने के कारण उन्हें,मातोश्री लोकमाता,व,मातेश्वरी,की उपाधि से अलंकृत किया गया। उन्होंने बताया कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात,यानी कि अहिल्याबाई एक कृषक परिवार में जन्म ली थी और भगवान शिव की परम भक्त थी।।
अचानक एक दिन मराठा साम्राज्य के मल्हार राव होलकर जी पुणे की तरफ जा रहे थे और उन्होंने अहिल्याबाई को अपनी पुत्रवधू बनाने का प्रस्ताव उनके पिताजी मनकौजी शिंदे के सामने रखा और उसके बाद उनका विवाह हो गया।और वह मल्हार राव होलकर के घर में पुत्रवधू बनकर आ गई।उसके बाद लगातार संघर्ष का सिलसिला जारी हुआ और सास ससुर का उन्होंने अपनी सेवा से दिल जीत गृहस्थी के सभी काम को ठीक से करने लग गई। इस बीच अहिल्याबाई के दो संतान एक पुत्र दूसरी पुत्री हुई।पुत्र का नाम मालेगांव व पुत्री का नाम मुक्ताबाई रखा गया। यह वह समय है जबकि अहिल्याबाई होल्कर की गिनती भारत की महान नारियों में होने लग गई थी।फिर एक स्थिति ऐसी पैदा हुई की महाराज मल्हार राव और उनके पुत्र खंडेराव ने भरतपुर में चढ़ाई कर दी इस युद्ध में खांडेराव की मृत्यु हो गई ।
अपने पति के मृत्यु से दुखी होकर के अहिल्याबाई होल्कर सती होना चाहती थी।किंतु ससुर के समझाने पर उन्होंने सती ना होने का फैसला किया। इस बीच अनेक समस्याएं लगातार उनके जीवन में आती गई परंतु वह उसे तनिक भी विचलित नहीं हुई और अपने साहस बहादुर व सेवा के द्वारा एक कुशल सेनानी की भांति पूरा जीवन उन्होंने व्यतीत किया। उनके द्वारा लोककल्याण के जितने कार्य हुए हैं,उतने कार्य किसी भी शासनमें नहीं हुआ। उनका मानना था कि शस्त्र के बल पर दुनिया कोजीता जा सकता है परंतु दिल नहीं जीता जा सकता। उन्होंने प्रेम भाईचारा आत्मीयता धर्म के आचरण के द्वारा सबका दिल जीता और मातृ श्रीनाम से संबोधित की गई।
इसके बाद विद्यालय के प्राचार्य नरेंद्र तिवारी ने समस्त अतिथियों का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया कार्यक्रम का संचालन श्रीमती राज्यश्री कुमबज व्याख्याता ने किया और आभार प्रदर्शन बीरबल दास बघेल व्याख्याता ने किया 250 छात्र छात्रों की उपस्ति के साथ कार्यक्रम में समीर सिंह कमर,कुमारी आशा लता वैष्णव,उषा साहू,श्रीमती रचना शुक्ला,श्रीमती जेरी का सिंह,जितेश कुमार दास,राजेंद्र पाल सिंह श्रीमती सोनिया ठाकुर,श्रीमती राबिया,अर्चना तिवारी,ने नरगिस रहीम,कल्याणी दुबे,श्रवण साहू,उपस्थित थे